साजिश (अ थ्रिलर स्टोरी) एपिसोड 14
दीपक की बात सुनते हुए राहुल को यही लगा कि दीपक ने अनुराग को इसलिए मार दिया होगा क्योकि अनुराग ने दीपक और रोशनी के बीच गलतफहमी की दीवार खड़ी की थी। लेकिन रोशनी का क्या हुआ अब भी एक रहस्य बना हुआ था।
राहुल को लगा वो कहानी के अंतिम पड़ाव पर पहुँच चुका है।
"अब आगे…. आगे क्या हुआ ये तो बतलाओ" राहुल ने दीपक से कहा।
"आगे..…. आगे तो कुछ खूबसूरत लम्हे जिये, मेरा और रोशनी का प्यार अब और ज्यादा बढ़ चुका था। और हम दोनो बेसब्री से शादी का इंतजार कर रहे थे। मैं अक्सर रोशनी के साथ घूमने आया जाया करता था। और फिर रोशनी के ही जिद पर उसी के बिजनेस में पार्टरनशिप ले ली, हालांकि ऑफिस में हम ज्यादा देर साथ नही रहते थे, लेकिन आना जाना एक साथ होता था।" दीपक अपनी बात बता रहा था कि राहुल ने बीच मे टोकते हुए कहा- "लेकिन अनुराग को कैसे मारा ये तो बताओ?"
"अनुराग…. उसकी मौत का वजह इतनी छोटी नही है तुम जितनी जल्दबाजी में सुनना चाहते हो, उसकी पुरानी सारी साजिशें अब पुरानी हो चुकी थी और वो नयी नयी साजिशों के साथ खुद को हमारी नजर में लगातार गिराता गया। मैं क्यों रोशनी के साथ उसके बिजनेस में कूद पड़ा उसका कारण भी अनुराग ही था, वो रोज रोज रोशनी के पीछे पीछे जाने लगा, उससे माफी मांगने लगा, उससे बात करने की कोशिश करने लगा। रोशनी से एक मौका मांगने लगा था लेकिन रोशनी का गुस्सा तो पता ही है जब वो मुझे मेरी गलती के साथ एक्सेप्ट नही करती तो उसे क्या करती जिसे वो पहले से ही रिजेक्ट कर चुकी थी।" दीपक ने कहा।
"तो हकीकत में हुआ क्या, अगर ये वजह नही है तो और क्या वजह थी कि तुमने उसे मार दिया, और मारा भी बेरहमी से, हत्या कर दी, अगर मारपीट करके ही मारा होता तो हम मान लेते की तुम्हारा मकसद जान से मारना नही था, मगर गोली चलाकर जो उसके चेहरे पर एसिड फेंका गया इस हिसाब से तो तुम्हारा मकसद साफ झलक रहा था, लेकिन एक बात समझ नही आई,अब तक पकड़े क्यो नही गए, मेरा मतलब पुलिस को क्यो नही पता लगा कि अनुराग का कातिल कौन है" राहुल ने सवाल किया।
"पुलिस….हुंह…. पुलिस वाले सबूत ढूंढते है, और अगर पुलिस के हाथ मे अपराधी को पकड़ पाना होता तो अनुराग जेल में होता, ना कि खुले आम घूमता, अनुराग हमारे दर्ज केस से कुछ महीने जेल में रहा और छूट के आ गया बाहर, लेकिन उसने जो रोशनी के साथ किया था उसके लिए सिर्फ दो चार महीने की जेल काफी नही थी, मैने ठान लिया था कि मैं उसे भी जिंदा नही छोडूंगा…. उसे भी वही सजा दूँगा जो उसने रोशनी को दी थी, इसी बदले की आग के साथ एक दिन में निकल पड़ा अनुराग के लिए मौत का पैगाम लेकर……🤔🤔🤔🤔
*****
एक बंद कमरे में अनुराग को किसी कुर्सी में बांधकर उसके सामने वाली कुर्सी में दीपक बैठा हुआ था। दीपक के हाथ में थी एक बंदूक जो उसने अपने और अनुराग के बीच मे एक छोटे से टेबल पर रखी हुई थी।
"बहुत बहुत बधाई हो अनुराग, तुम्हे रिहाई मिल गयी है, बहुत बहुत बधाइयां" दीपक ने कहा।
"क्या चाहते हो तुम…. " अनुराग ने कहा।
"कुछ नही…. मैं क्यों कुछ चाहूंगा….कुछ नही।" दीपक ने कहा।
"तो फिर क्यो लाये हो मुझे यहाँ?" अनुराग ने कहा।
"दर्शल, तुम मुझे अब कुछ नही दे सकते, तुम्हारी जरूरत खत्म हो चुकी है। कोर्ट में तो तुमने खुद को बेगुनाह साबित कर दिया, लेकिन यहां…. यहां तुमसे ना कोई सबूत मांगूंगा ना कोई सफाई, क्योकि मैं जानता हूँ कि रोशनी पर एसिड तुमने फेंकी थी, ना कि तुमने बचाया था, हां हॉस्पिटल ले जाकर उसे एडमिट…. वो जरूर तुमने कराया था लेकिन चेहरा जलाने के बाद। तुमने ही रोशनी पर एसिड डाला था और कोर्ट में ये साबित कर दिया कि रोशनी पर किसी और ने ऐसिड फेंका था।" दीपक ने कहते हुए टेबल से बंदूक उठाया और उसमें गोलियां भरने लगा। दीपक बहुत गुस्से में था।
अनुराग जानता था दीपक का गुस्सा, थोड़ी सी झिझक के साथ अनुराग ने अपनी सफाई पेश करते हुए हकलाते हुए कहा- "कोर्ट में जिसकी गलती थी उसने अपनी गलती मान ली है, और उसे सजा मिल रही है, फिर भी तुम मेरे पीछे क्यों पड़े हो।"
"क्योकि उसने गलती खुद नही मानी है, उससे मनवाई है गलती…. उसके पास अपना घर नही था, वो बैंक के लोन से इतना परेशान था कि उसे कुछ कमाओ या नही फिर भी बैंक में पैसे देने पढ़ते थे, दस साल के लिए जेल चले गया तो क्या हुआ, उसका बैंक का लोन खत्म करके एक घर उनके परिवार के लिए दिया तुमने। और इसी लिए उसने सारा इल्जाम अपने सिर पर ले लिया था। मगर मैं अंधा कानून तो नही हूँ कि जो तुम कह दोगे मैं मान लूँगा।" दीपक ने कहा।
"सच में मेरी कोई गलती नही है, उस दिन…….🤔🤔🤔
अनुराग अपने दोस्त सुमित जो कि एक कार रिपेयर फैक्ट्री में मैनेजर था, उसे अपना हाल समाचार सुना रहा था।
"मतलब लड़की के लिए हर जतन फीके पड़ रहे है। तू उसे पटा नही पा रहा" हँसते हुए सुमित ने अनुराग को छेड़ा।
"अरे नही, वो किसी और को पसन्द करती है, और मैं चाहकर भी उसे अपने करीब नही ला पा रहा हूँ, क्योकि मैंने शुरुआत में उसे ढील दे दी थी, वो ऐसा जताती थी जैसे मुझे चाहती है, उसकी बातो से लगता था कि वो मेरे इजहार का ही इंतजार कर रही है, युर एक दिन जब मैंने उसे दिल की बात बोली तो पता लगा वो मुझे सिर्फ दोस्त समझती है"अनुराग ने कहा।
"ये लड़कियां होती ही ऐसी है। जानबूझकर प्यार जताती है और लूटती है लड़को को, पैसे के चक्कर मे करती है सब।" सुमित बोला।
"नही यार, वो खुद का बिजनेस चलाती है, पैसो के लिए तो नही किया होगा ऐसा…… अगर पैसो के लिए किया होता तो उस दीपक से नही करती शादी….वो तो मामूली सा क्लर्क है, प्राईवेट।" अनुराग ने कहा।
"शादी भी तय कर ली…. अब तो भूल जा भाई उसे…. क्योकि अगर वो किसी और से शादी करना चाहती है तो इसका मतलब तेरा चेप्टर पहले से क्लोज है, दूसरी देख कोई।" सुमित ने कहा।
"हद है…. तू समझता नही है यार…. किसी और को देखने का मन नही करता, पता नही क्यों जब भी शादी के बारे में सोचता हूँ तो मुझे रोशनी ही नजर आती है जो मेरे पास आकर कहती है- "अनुराग…. तुम शादी के बाद कितने बदल गए हो" मैं बिना कुछ सोचे समझे उसे कहूँगा- "शादी से पहले मैं कुछ था ही नही,अब मैं रोशनी का हूँ"
अनुराग की बहकी बहकी बात पर सुमित को हँसी आ गयी- "बस कर मजनू…. बस कर…. अब वो यही डायलॉग अपने पति को मारेगी, तू भी अब सोच ले कि तूने शादी करनी है या नही"
"नही यार! मेरा मतलब हाँ… करनी तो है लेकिन रोशनी से" अनुराग जैसे कोई जिद्दी बच्चा हो, घुमफिरकर रोशनी की बात करने लगता।
"तो तू रोशनी को भूल नही सकता, सच्चा प्यार करता है उससे" सुमित थोड़े गंभीर भाव मे बोला।
"ह्म्म्म…. पता है चार पांच साल हो गए है, उसकी नजर में अपनी इज्जत बनाये रखने के लिए, खुद को उसके ख़रीब पाकर भी कभी उसे छुआ नही, या ये बोल की उसे हमेशा अपने साथ महफूज महसूस कराया है, जब वो मेरे पास होती थी जी तो करता था कि उसे गले से लगा लूँ और अपने दिल के किताब के पन्ने पलटकर उसे अपने दिल की कहानी सुनाऊं मगर हमेशा एक डर मेरे अंदर घर करके बैठा रहा कि कहीं इसका असर हमारी दोस्ती में ना पढ़ जाए।
बताते बताते अनुराग अपने और रोशनी के कुछ हसीन मुलाकातों के बारे में सोचने लगा, जो उसने एकतरफा मोहब्बत में गुजारे थे, जब हर बार उसकी दिल की बात जुबां पर आते आते अटक जाती थी। वैसे तो गुंडा पर्सनेलिटी का था अनुराग, लेकिन प्यार मोहब्बत में गुंडागर्दी और धमकियां नही प्यार और मोहब्बत ही काम आती है।
कैसे कहूँ मैं
इस दिल की कहानी
ये दिल तो है जैसे
बहता सा पानी
ये दिल तो है जैसेएएएए….
बहता सा पानी….
🎶🎼🔊🎶🎶🎼
अनुराग के लिए रोशनी सबकुछ थी, अनुराग हर किसी के नजर में भले बेड बॉय था लेकिन रोशनी के लिए ना कभी वो गलत सोचता था ना ही उसे नुकसान पहुंचाता था। अनुराग तो यही उम्मीद लगाए बैठा था कि प्यार मोहब्बत के इजहार के लिए शब्दो की जरूरत नही होती, शायद खामोशी से भी प्यार का एहसास दिलाया जा सकता है ।
तू ख्वाब था, तू अपना था
मेरे तो दिल का तू ही सपना था
तुझे पाने की मुझे चाहत थी
मेरे दर्दे दिल की तू राहत थी
तू थी तो मैं भी था……🎶🎶🎶
अनुराग के दिल मे रोशनी थी, अनुराग शुरू से दीपक स जलता था, लेकिन फिर भी उसे झेलता थ क्योकि वो रोशनी का दोस्त था। उसे नुकसान पहुंचाना यानी रोशनी के सामने गलत साबित हो जाना, या उसके नजर में गिर जाना,
रोशनी जब भी मिलती थी थोड़ी दूर शर्मीली निगाहों से वार करती थी, कभी कभी अनुराग छेड़ते हुए कुछ बोल देता तो गुस्से भरी नजर से वो अनुराग को घूरती, लेकिन अनुराग उसके गुस्से भरी नजरों से नजर मिलाता और आंखों की गहराई तक डूबने की कोशिश करने लगता, इस वक्त रोशनी का गुस्सा फुस्स हो जाया करता था और वो हंसने लगती थी, और इसी हँसी को देखने के लिए अनुराग अक्सर उसे छेड़ा करता था, उसकी खूबसूरती को तारीफ करता रहता था, और कभी कभी जानबूझकर मजाक उड़ाता था ताकि रोशनी उसे मारने के लिए उसके पीछे भागे, या उसे पकड़कर मारने की एक्टिंग करे। लेकिन रोशनी जब गुस्सा होती तो वो एक्टिंग नही सच मे उसके पीठ पर मुक्के बरसाती थी और अनुराग खुद को बचाने के बहाने उसके हाथों को पकड़ लेता। बस यही उसले लिए हसीन पल थे, उसकी हसीन यादें थी।
एक बाग सा, एक कली सी
मेरे इश्क के राहों की गली सी
मेरे जज्बातों का बहना सा
जन्नत में जैसे रहना सा
वो खुशी तू, अल्फाज भी तू
मेरे दिल का हर इक राज भी तू
जो दे ना सका वो आवाज भी तू
तू थी तो मैं था……🎶🎶🎶🎶
अनुराग ने सुमित को बताते बताते एक बार फिर अतीत को खुलकर जिया और वापस सुमित के पास आकर कहा- "कोई उपाय बताओ कि रोशनी मेरी हो जाये, और उस दीपक को उसकी जिंदगी से निकाल फेंकूँ"
कहानी जारी है
Fiza Tanvi
27-Aug-2021 11:52 PM
💐💐💐💐
Reply
🤫
07-Aug-2021 09:23 AM
साजिशो का चक्रव्यूह....🤔🤔
Reply
Seema Priyadarshini sahay
05-Aug-2021 06:09 PM
👌👌
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